18-01-05   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

सेकण्ड में देहभान से मुक्त हो जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव करो और मास्टर मुक्ति-जीवनमुक्ति दाता बनो

आज बापदादा चारों ओर के लक्की और लवली बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चा स्नेह में समाया हुआ है। यह परमात्म स्नेह अलौकिक स्नेह है। इस स्नेह ने ही बच्चों को बाप का बनाया है। स्नेह ने ही सहज विजयी बनाया है। आज अमृतवेले से चारों ओर के हर बच्चे ने अपने स्नेह की माला बाप को पहनाई क्योंकि हर बच्चा जानता है कि यह परमात्म स्नेह क्या से क्या बना देता है। स्नेह की अनुभूति अनेक परमात्म खज़ाने के मालिक बनाने वाली है और सर्व परमात्म खज़ानों की गोल्डन चाबी बाप ने सर्व बच्चों को दी है। जानते हो ना! वह गोल्डन चाबी क्या है? वह गोल्डन चाबी है - '' मेंरा बाबा”। मेंरा बाबा कहा और सर्व खज़ानों के अधिकारी बन गये। सर्व प्राप्तियों के अधिकार से सम्पन्न बन गये, सर्व शक्तियों से समर्थ बन गये, मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मायें बन गये। ऐसे सम्पन्न आत्माओं के दिल से क्या गीत निकलता? अप्राप्त नहीं कोई वस्तु हम ब्राह्मणों के खज़ाने में।

आज के दिन को स्मृति दिवस कहते हो, आज सभी बच्चों को विशेष आदि देव ब्रह्मा बाप ज्यादा स्मृति में आ रहा है। ब्रह्मा बाप आप ब्राह्मण बच्चों को देख हर्षित होते हैं, क्यों? हर ब्राह्मण बच्चा कोटों में काई भाग्यवान बच्चा है। अपने भाग्य को जानते हो ना! बापदादा हर बच्चे के मस्तक में चमकता हुआ भाग्य का सितारा देख हर्षित होते हैं। आज का स्मृति दिवस विशेष बापदादा ने विश्व सेवा की जिम्मेवारी का ताज बच्चों को अर्पण किया। तो यह स्मृति दिवस आप बच्चों के राज्य तिलक का दिवस है। बच्चों के विशेष साकार स्वरूप में विल पावर्स विल करने का दिन है। ‘सन शोज फादर’ इस कहावत को साकार करने का दिवस है। बापदादा बच्चों के निमित्त बन निःस्वार्थ विश्व सेवा को देख खुश होते हैं। बापदादा करावनहार हो, करनहार बच्चों के हर कदम को देख खुश होते है क्योंकि सेवा की सफलता का विशेष आधार ही है - करावनहार बाप मुझ करनहार आत्मा द्वारा करा रहा है। मैं आत्मा निमित्त हूँ क्योंकि निमित्त भाव से निर्मान स्थिति स्वत: हो जाती है। मैं पन जो देहभान में लाता है वह स्वत: ही निर्मान भाव से समाप्त हो जाता है। इस ब्राह्मण जीवन में सबसे ज्यादा विघ्न रूप बनता है तो देहभान का मैं-पन। करावनहार करा रहा है, मैं निमित्त करनहार बन कर रहा हूँ, तो सहज देह-अभिमान मुक्त बन जाते हैं और जीवनमुक्ति का मज़ा अनुभव करते हैं। भविष्य में जीवनमुक्ति तो प्राप्त होनी है लेकिन अब संगमयुग पर जीवनमुक्ति का अलौकिक आनंद और ही अलौकिक है। जैसे ब्रह्मा बाप को देखा - कर्म करते कर्म के बंधन से न्यारे। जीवन में होते कमल पुष्प समान न्यारे और प्यारे। इतने बडे परिवार की जिम्मेवारी, जीवन की जिम्मेवारी, योगी बनाने की जिम्मेवारी, फरिश्ता सो देवता बनाने की जिम्मेवारी होते हुए भी बेफिकर बादशाह। इसी को ही जीवनमुक्त स्थिति कहा जाता है। इसीलिए भक्ति मार्ग में भी ब्रह्मा का आसन कमल पुष्प दिखाते हैं। कमल आसनधारी दिखाते हैं। तो आप सभी बच्चों को भी संगम पर ही जीवनमुक्ति का अनुभव करना ही है। बापदादा से मुक्ति जीवनमुक्ति का वर्सा इस समय ही प्राप्त होता है। इस समय ही मास्टर मुक्ति जीवनमुक्ति दाता बनना है। बने हैं और बनना है। मुक्ति जीवनमुक्ति के मास्टर दाता बनने की विधि है - सेकण्ड में देह-भान मुक्त बन जायें। इस अभ्यास की अभी आवश्यकता है। मन के ऊपर ऐसी कंट्रोलिंग पावर हो, जैसे यह स्थूल कर्मेन्द्रियाँ, हाथ है, पाँव है, उसको जब चाहो जैसे चाहो वैसे कर सकते हो, टाइम लगता है क्या! अभी सोचो हाथ को ऊपर करना है, टाइम लगेगा? कर सकते हो ना। अभी बापदादा कहे हाथ ऊपर करो, तो कर लेंगे ना। करो नहीं, कर सकते हो। ऐसे मन के ऊपर इतना कंट्रोल हो, जहाँ एकाग्र करने चाहो, वहाँ एकाग्र हो जाए। मन चाहे हाथ, पाँव से सूक्ष्म है लेकिन है तो आपका ना। मेरा मन कहते हो ना, तेरा मन तो नहीं कहते हो ना! तो जैसे स्थूल कर्मेन्द्रियाँ कंट्रोल में रहती हैं, ऐसे ही मन-बुद्धि-संस्कार कंट्रोल में हो तब कहेंगे नम्बरवन विजयी। साइन्स वाले तो राकेट द्वारा वा अपने साधनों द्वारा इसी लोक तक पहुँचते हैं, ज्यादा से ज्यादा ग्रह तक पहुँचते हैं। लेकिन आप ब्राह्मण आत्मायें तीनो लोक तक पहुँच सकते हो 1 सेकण्ड में सूक्ष्म लोक, निराकारी लोक और स्थूल में मधुबन तक तो पहुँच सकते हो ना। अगर मन को आर्डर करो मधुबन में पहुँचना है तो सेकंड में पहुँच सकते हो? तन से नहीं, मन से। आर्डर करो सूक्ष्मवतन जाना है, निराकारी वतन में जाना है तो तीनो लोकों में जब चाहे मन को पहुँचा सकते हो? है प्रैक्टिस? अभी इस अभ्यास की आवश्यकता ज्यादा है। बापदादा ने देखा है अभ्यास तो करते हो लेकिन जब चाहे, जितना समय चाहे एकाग्र हो जाए, अचल हो जाए, हलचल में नहीं आये, इसके ऊपर और अटेंशन। जो गायन है मन जीत जगत जीत, अभी कभी-कभी मन धोखा भी दे देता है।

तो बापदादा आज के समर्थ दिवस पर यही समर्थी विशेष अटेशंन में दे रहे हैं। हे स्वराज्य अधिकारी बच्चे, अभी इस विशेष अभ्यास को चलते-फिरते चेक करो क्योंकि समय प्रमाण अभी अचानक के खेल बहुत देखेंगे। इसके लिए एकाग्रता की शक्ति आवश्यक है। एकाग्रता की शक्ति से दृढता की शक्ति भी सहज आ जाती है और दृढता सफलता स्वत: प्राप्त कराती है। तो विशेष समर्थ दिवस पर इस समर्थी का अभ्यास विशेष अटेंशन में रखो। इसीलिए भक्ति मार्ग में भी कहते हैं मन के हारे हार, मन के जीते जीत। तो जब मेरा मन कहते हो, तो मेरे के मालिक बन शक्तियों की लगाम से विजय प्राप्त करो। इस नये वर्ष में इस होमवर्क पर विशेष अटेंशन। इसी को ही कहा जाता है योगी तो हो लेकिन अभी प्रयोगी बनो।

बाकी आज के दिन की स्नेह की रूहरिहान, स्नेह के उल्हने और समान बनने के उमंग-उत्साह तीनों प्रकार की रूहरिहान बापदादा के पास पहुंची है। चारों ओर के बच्चों की स्नेह भरी यादें, स्नेह भरा प्यार बापदादा के पास पहुँचा। पत्र भी पहुँचे तो रूहरिहान भी पहुँची, सन्देश भी पहुँचे, बापदादा ने बच्चों का स्नेह स्वीकार किया। दिल से रिटर्न में यादप्यार भी दिया। दिल की दुआयें भी दी। एक-एक का नाम तो नहीं ले सकते हैं ना। बहुत हैं। लेकिन कोने कोने, गाँव गाँव, शहर शहर सब तरफ के बच्चों का, बाँधेलियों का, विलाप करने वालों का सबका यादप्यार पहुँचा, अब बापदादा यही कहते – स्नेह के रिटर्न में अब अपने आपको टर्न करो, परिवर्तन करो। अब स्टेज पर अपना सम्पन्न स्वरूप प्रत्यक्ष करो। आपकी सम्पन्नता से दुःख और अशान्ति की समाप्ति होनी है। अभी अपने भाई-बहिनों को ज्यादा दुःख देखने नहीं दो। इस दुःख, अशान्ति से मुक्ति दिलाओ। बहुत भयभीत हैं। क्या करें, क्या होगा., इस अंधकार में भटक रहे हैं। अब आत्माओं को रोशनी का रास्ता दिखाओ। उमंग आता है? रहम आता है? अभी बेहद को देखो। बेहद में दृष्टि डालो। अच्छा। होमवर्क तो याद रहेगा ना! भूल नहीं जाना। प्राइज देंगे। जो एक मास में मन को बिल्कुल कंट्रोलिंग पावर से पूरा मास जहाँ चाहे, जब चाहे वहाँ एकाग्र कर सके, इस चार्ट की रिजल्ट में इनाम देंगे। ठीक है? कौन इनाम लेंगे? पाण्डव, पाण्डव पहले। मुबारक हो पाण्डवों को और शक्तियाँ? ए वन। पाण्डव नम्बरवन तो शक्तियां ए वन। शक्तियाँ ए वन नहीं होगी तो पाण्डव ए वन। अभी थोड़ी रफ्तार तीव्र करो। आराम वाली नहीं। तीव गति से ही आत्माओं का दुख दर्द समाप्त होगा। रहम की छत्रछाया आत्माओं के ऊपर डालो। अच्छा।

सेवा का टर्न - तामिलनाडु, ईस्टर्न और नेपाल:- जिनका टर्न है वह सब उठो। बहुत बडा ग्रुप है (5000 हैं) 5 हजार सेवा का गोल्डन चांस लेने वाले। अच्छी चतुराई की है। 15 दिन सेवा करेंगे और 21 जन्म पुण्य का खाता जमा करेंगे। होशियार हो गये ना! अच्छा है। ब्रह्मा बाप के प्रत्यक्षता की भूमि तो कलकत्ता ही है ना! तो कलकत्ता वाले हाथ उठाओ। अच्छा - कलकत्ता वालों की विशेष जिम्मेवारी है, बतायें। अच्छा ब्रह्मा बाप के प्रत्यक्ष होने की भूमि कलकत्ता है, तो बापदादा के प्रत्यक्ष होने की भूमि कौन सी होगी? कलकत्ता होगी? क्या करेंगे? बडा प्रोग्राम तो कर लिया। अभी क्या करेंगे? कोई कमाल करके दिखाओ। जहाँ से आदि हुई, वहाँ समाप्ति भी हो। सभी कलकत्ता की भूमि को प्रणाम करें, वाह! कलकत्ता निवासी वाह! ऐसा कोई कमाल का प्रोग्राम बनाओ। नया कुछ बनाओ। मेगा प्रोग्राम अभी बहुत हो गये। अभी कोई नया प्रोग्राम बनाओ। अच्छा है, बापदादा बच्चों को पुण्य का खाता जमा करने की विधि देख करके खुश होते हैं। यह भी गोल्डन चास है। अच्छा है। नेपाल और तामिलनाडु भी है, देखो कलकत्ता में जब प्रवेशता हुई तो नेपाल का कनेक्शन तो पहले ही था। इसलिए नेपाल को भी कमाल करनी पडेगी। नेपाल वाले उठो। नेपाल वालों को राज्य अधिकारी, राजवंशी आत्माओं का कल्याण ज्यादा करना है। कोई पुराने राज वंशावली से मधुबन तक आये हैं? अभी उन्हों को और ज्यादा नजदीक लाओ। कनेक्शन तो अच्छा है लेकिन अभी रिलेशन में लाओ। अच्छा है। नेपाल भी सेवा तो अच्छी कर रहे हैं। अच्छा। नेपाल वालों को मुबारक है और स बढ़ायेगे। राज वंशावली को मधुबन तक लायेगे। अच्छा। तामिलनाडु वाले उठो - बहुत पीछे बैठे है। हाथ हिलाओ। तामिलनाडु क्या करेगा? सेवा का विस्तार तो अच्छा किया है। रोजी बच्ची को याद तो करते हैं ना! फाउण्डेशन अच्छा डाला है। अभी उसको आप सभी निमित्त बन और बढ़ा रहे हैं। बढ़ा रहे हो ना! क्या नहीं कर सकते हो। जो चाहो शुभ संकल्प करो, सब कर सकते हो। हिम्मत आपकी और मदद बाप की। हिम्मत वाले तो हैं। हिम्मत अच्छी है, मदद भी बाप की है और हिम्मत करेंगे तो और मदद मिलती रहेगी। बाकी रोजी बच्ची के बाद अच्छा सम्भाल लिया और आगे भी आपस में मिलकर रोजी बच्ची को रिटर्न देंगे। अच्छा फाउण्डेशन डाला है। सब खुश हैं? जो सदा खुश हैं, वह हाथ उठाओ। खुश नहीं, सदा खुश? अच्छा है। खुश रहना और खुशी बाँटना। अच्छा। आसाम है, उड़ीसा है, बिहार भी है, बंगलादेश भी है, तो इतने सब इकट्ठे हो। उड़ीसा वाले भी अच्छी सेवा कर रहे हैं, बिहार वाले भी कर रहे हैं तो इस जोन को नम्बरवन जाना है। कितने हैण्ड्स होंगे। 6-7 स्थान के हैण्ड्स, तो कितने हैण्ड्स हो गये। तो बापदादा राइट हैण्ड्स को देख करके खुश हैं। जितना बड़ा जोन है, इतनी बडी कमाल करके दिखाना। आप तो 6-7 जगह पर आवाज फैला दो तो आवाज आपेही फैल जायेगा। बंगाल से भी आवाज हो, उड़ीसा से भी आवाज हो, नेपाल से भी आवाज हो, आसाम से भी आवाज हो, तो सब कोने से आवाज आये, तो कितना बडा आवाज हो जायेगा। कमाल करो कुछ। सबसे बड़े ते बड़ा जोन, इसमें इतने स्टेट इकट्ठे हैं। महाराष्ट्र, गुजरात में भी हैं, तीनों ही स्थान बड़े हैं, अभी कमाल करके दिखाओ।

एज्यूकेशन विंग:- एज्यूकेशन वालों ने नये प्लैन कोई बनाये हैं? नया कुछ बनाया है? अच्छा है। एज्यूकेशन तो विशेष है। एज्युकेशन में अगर आपने कोई भी स्थान में कोई भी एक क्लास का क्लास परिवर्तन करके दिखाया तो गवर्मेंट को कितनी खुशी होगी। जैसे गाँव वाले कोई गाँव को अपनाते हैं ना, वैसे आप किसी भी युनिवर्सिटी में या कालेज में, स्कूल में क्लास, पूरे क्लास को चेंज करके दिखाओ, मेजारिटी। चलो कुछ थोडे रह जाए, वह बात दूसरी है लेकिन कोई क्लास प्रैक्टिकल में परिवर्तन करके दिखाओ तो गवर्मेंट तक आवाज जायेगा। बहुत अच्छा किया है, मुबारक हो। (प्लैन सुनाया)

बहुत अच्छा इनएडवांस मुबारक। अच्छा है देखो (साउथ गुजरात के वाइस चांसलर से) यह एक निमित्त बना, अनेक आत्माओं के प्रति तो आपको कितनी दुआयें मिलेगी। जो स्टूडेंट परिवर्तन होंगे उसकी दुआयें आपको शेयर में मिलेंगी। तो आप शेयर होल्डर हो गये। परमात्मा के शेयर होल्डर, वह शेयर नहीं, नीचे ऊपर होने वाले नहीं। अच्छा निमित्त बना है। अभी कमाल करके दिखाओ। कोई क्लास का क्लास मैजारिटी परिवर्तन करके दिखाओ। अच्छा है, आपस में राय करते आगे बढते चलो। जो भी कोई सैलवेशन चाहिए, आपस में मीटिंग करके कर लो। होगा, करना ही है, बढ़ना ही है। अच्छा।

डबल विदेशी:- बापदादा कहते हैं डबल विदेशी अर्थात् डबल पुरुषार्थ में आगे बढने वाले। जैसे डबल विदेशी टाइटल है ना, निशानी है ना आपकी। ऐसे ही डबल विदेशी नम्बरवन लेने में भी डबल रफ्तार से आगे बढ़ने वाले। अच्छा है, हर ग्रूप में बापदादा डबल विदेशियों को देख करके खुश होते हैं क्योंकि भारतवासी आप सबको देख करके खुश होते हैं। बापदादा भी विश्व कल्याणकारी टाइटल को देख करके खुश होते हैं। अभी डबल विदेशी क्या प्लैन बना रहे हो? बापदादा को खुशी हुई, अफ्रीका वाले तीव पुरुषार्थ कर रहे हैं। तो आप सभी भी आस-पास जो आपके भाई बहन रह गये हैं, उन्हों को सन्देश देने का उमंग-उत्साह रखो। उल्हना नहीं रह जाए। वृद्धि हो रही है और होती भी रहेगी लेकिन अभी उल्हना पूरा करना है। यह विशेषता तो डबल विदेशियों की सुनाते ही है कि भोले बाप को राजी करने का जो साधन है - सच्ची दिल पर साहेब राजी, वह डबल विदेशियों की विशेषता है। बाप को राजी करना बहुत होशियारी से आता है। सच्ची दिल बाप को क्यों प्रिय लगती है? क्योंकि बाप को कहते ही है सत्य। ‘गॉड इज ट्रुथ’ कहते हैं ना! तो बापदादा को साफ दिल, सच्ची दिल वाले बहुत प्रिय है। ऐसे है ना! साफ दिल है, सच्ची दिल है। सत्यता ही ब्राह्मण जीवन की महानता है। इसलिए डबल विदेशियों को बापदादा सदा याद करते हैं। भिन्न भिन्न देश में आत्माओं को संदेश देने के निमित्त बन गये। देखो कितने देशों के आते हैं? तो इन सभी देशों का कल्याण तो हुआ है ना। तो बापदादा, यहाँ तो आप निमित्त आये हुए हैं लेकिन चारों ओर के डबल विदेशी बच्चों को, निमित्त बने हुए बच्चों को मुबारक दे रहे हैं, बधाई दे रहे हैं, उड़ते रहो और उडाते रहो। उडती कला सर्व का भला हो ही जाना है। सभी रिफ्रेश हो रहे हैं? रिफ्रेश हुए? सदा अमर रहेगी या मधुबन में ही आधा छोडकर जायेंगे? साथ रहेगी, सदा रहेगी? अमर भव का वरदान है ना! तो जो परिवर्तन किया है वह सदा बढ़ता रहेगा। अमर रहेगा। अच्छा। बापदादा खुश हैं और आप भी खुश हैं औरो को भी खुशी देना। अच्छा।

ज्ञान सरोवर को 10 साल हुआ है

अच्छा। अच्छा है, ज्ञान सरोवर ने एक विशेषता आरम्भ की, जबसे ज्ञान सरोवर शुरू हुआ है तो वी.आई.पी, आई.पी. के विशेष विधि पूर्वक प्रोग्राम्स शुरू हुए हैं। हर वर्ग के प्रोग्राम्स एक दो के पीछे चलते रहते हैं। और देखा गया है कि ज्ञान सरोवर में आने वाली आत्माओं की स्थूल सेवा और अलौकिक सेवा बहुत अच्छी रुचि से करते हैं। इसलिए ज्ञान सरोवर वालों को बापदादा विशेष मुबारक देते हैं कि सेवा की रिजल्ट से सब खुश होकर जाते हैं और खुशी खुशी से और साथियों को साथ ले आते हैं। चारों ओर आवाज फैलाने के निमित्त ज्ञान सरोवर बना है। तो मुबारक है और सदा मुबारक लेते रहना। अच्छा।

अभी एक सेकण्ड में मन को एकाग्र कर सकते हो? सब एक सेकण्ड में बिन्दु रूप में स्थित हो जाओ। (बापदादा ने ड़िल कराई) अच्छा - एसा अभ्यास चलते फिरते करते रहो।

चारों ओर के स्नेही, लवलीन आत्माओं को, सदा रहमदिल बन हर आत्मा को दुःख अशान्ति से मुक्त करने वाले श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा अपन मन, बुद्धि, संस्कार को कंट्रोलिंग पावर द्वारा कंट्रोल में रखने बाले महावीर आत्माओं को, सदा संगमयुग के जीवनमुक्त स्थिति को अनुभव करने वाले बाप समान आत्माओं को बापदादा का पदमगुणा यादप्यार और नमस्ते।

मोहिनी बहन से:- यह भी अपने शरीर को चलाना सीख गई है। चलता रहेगा।

शान्तामणि दादी से:- यह भी बहुत अच्छा चला रही है।

सभी दादियों को देखते हुए:- आप आदि रत्नों की शोभा है। हाजिर होना ही शोभा है। अगर काई आप में से हाजिर नहीं होता तो खाली-खाली लगता है। आदि रत्नों की यह विशेषता है। जहाँ भी जायेंगे, सबको खुशी हो जाती है। बोलो, नहीं बोलो सिर्फ हाजिर होना ही खुशी है। तबियत को तो चलाना आ गया है। आ गया है ना? सभी की तबियतें तो थोडा बहुत खिटखिट करती हैं। फिर भी चलाना आ गया है।

दादी जी से:- बहुत अच्छा पार्ट बजा रही हो। बापदादा देखते हैं शरीर का नॉलेज भी आ गया है। कैसा भी शरीर हो लेकिन चलाना आ गया है, यह बापदादा देखते खुश होते हैं। आदि रत्न कम नहीं है। आदि रत्न हैं ना तो एक एक आदि रत्न की विशेषता है।

निर्मलशांता दादी से:- बहुत ही अच्छा पार्ट बजा रही है। दर्द तो नहीं पड़ता ना। (बाबा को मिलकर दर्द होगा तो भी चला जायेगा) आपका नाम सुनकर सभी खुश हो जाते हैं, परदादी। तो परदादी का नाम सुनके खुश हो जाते हैं। बहुत अच्छा। अच्छा ठीक है ना, तबियत अच्छी है। बहुत अच्छा। अभी तो ठण्डी को जीत लिया। विजयी बन गई। बहुत अच्छा।

ओम शान्ति।